एक मेढक की कहानी
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एक बार एक मेढकों की टोली जंगल से होते हुए जा रही थी |
जब रास्ते से होकर जा रहे थे तो उन्हें एक बड़ा सा कुआं मिला |
उस कुएं में अचानक दो मेढक गिर गए.
जब मेढक कुएँ में गिर गए तो
वो दोनों मेढक बाहर निकलने के लिए
जोर जोर से उछलने लगे.
वो कुआं इतना गहरा था कि वो बाहर निकलने में असफल होते जा रहे थे.
इधर ऊपर वाले मेढक उन दोनों मेढक को बोल रहे थे कि अब तुम दोनों बाहर निकल नहीं सकते हो तुम बेकार में मेहनत कर रहे हो..
अचानक एक मेढक ने ऊपर वाले की बात सुन ली और निरास होके एक कोने मे बैठ गया.
लेकिन जो दूसरा मेढक था वो लगातार उछल रहा था..
अंततः वो मेढक बाहर आ गया.
बाहर के सभी मेंढक हैरान रह गए और बोला कि हम सब तो तुम्हें आवाज दे रहे थे कि तुम बाहर नहीं आ सकते हो मेहनत नहीं करो क्या तुमने मेरी बात नहीं सुनी थी.
वो मेढक बोला मैं बहरा हूँ मैं सुन नहीं सकता..
तो दोस्तों इस story से हमें ये सीख मिलती है कि हम जो बोलते हैं उसका असर दूसरों पर होता है इस लिए हमे सोच समझ कर बोलना चाहिए..
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